वार्षिक लेखन प्रतियोगिता कहानी:-7:- डरना ज़रूरी है
वार्षिक लेखन प्रतियोगिता कहानी:- 7:- डरना ज़रूरी है:-
जैसे- जैसे हमारे समाज में आधुनिकता का विकास हो रहा है। इसकी बुनियाद कमज़ोर होती प्रतीत होती है। आधुनिकता की अंधी- दौड़ ने सभी को अपनी चपेट में लेकर पंगु एवम अंधा बना दिया है।
उचित अनुचित का विचार किए बिना ही मनुष्य अपने जीवन के अहम फैसले भी इसी अंधी- दौड़ के अंतर्गत ले लेता है, जिसका परिणाम भविष्य में एक विकराल रूप लिए सबके सामने आता है।
आधुनिकता की अंधी- दौड़ ने आज बच्चों और बड़ों के मध्य के अंतर को भी खत्म कर दिया है। इस अंतर के नष्ट होते ही बच्चों की बुनियादी शिक्षा चरमरा गई है। बच्चों में बड़ों का डर खत्म होता जा रहा है, जो कि एक तरह से उचित है, क्योंकि वह बिना डरे अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाते हैं।
वहीं दूसरी ओर यह डर खत्म होने से बच्चे उचित- अनुचित का ज्ञान खोते जा रहे हैं। इसी कारण बच्चों के अपराधों में भी बढ़ोतरी हुई है। इसीलिए मनुष्य के लिए जितना बहादुर होना आवश्यक है, उतना ही डरना भी जरूरी है। डर... अच्छाई और सच्चाई का, डर... इंसानियत एवम ईमानदारी का। डर... गलत फैसलों से कदमों को भटकने से बचाने का। अतः एक सकारात्मक एवम शांतिपूर्ण समाज के निर्माण हेतु बहादुरी के साथ- साथ डरना ज़रूरी है।
Gunjan Kamal
10-Mar-2022 06:30 PM
बिल्कुल सही कहा आपने मैम
Reply
Swati Sharma
11-Mar-2022 09:23 PM
आपका हार्दिक आभार
Reply
Seema Priyadarshini sahay
10-Mar-2022 05:26 PM
बहुत ही सटीक जवाब
Reply
Swati Sharma
11-Mar-2022 09:22 PM
आपका हार्दिक आभार
Reply